15 March 2015

सहर की खोज में

मेरे वालिद , शहर से कई दूर एक सहर है ।
ऊस सहर में, ना है व्यक्तिगत खुश्बुए । 
ना है कोई विकराल विचार ॥ 

बस है थोड़ी झाडे, तिनके और कंकर । 

जानोगे यहाँ  जीवन के कड़वे सच, मध्य रस,
और प्रीतम धुन ॥ 

ऐ वालिद , इस सहर को खोज ।

इसमें बसी बदबूए , और कुछ खुश्बुए । 
और जीना सीख ॥

रौनक कोगटा



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