अभिव्यक्ति इस मानस की ।
है कुछ संगीन ॥
रंगो से है, भरी हुई ।
पर रंगो पर ही, एक छवि हुई ॥
इसका आकर है निराकार ।
और भोग है तप ॥
जीवन के इस प्रष्ठ पर ।
ये रहती सदैव, तृप्त ॥
कौन है हम, कौन हो तुम ।
के सिलसिले में, झूझती हुई ।
इठलाती हुई, और मटकाती हुई ॥
ऐसी कुछ अदा है, प्रति प्रति व्यक्ति की ॥
कुछ ख्याल, कुछ उन्माद ।
उमड़े मेरे लघु मन में ॥
कुछ सपने, कुछ अरमान ।
जागे इस जीवन में ॥
चाहा कि, बनू एक आवाज़ ।
या कोई चलती किताब ॥
पर होता है मुश्किल ।
कुछ इसका हिसाब ॥
य़ो तो मैं , कवि सही ।
पर शब्दो में, मैं रवि नहीं ।।
चाहता हूँ, सुनाना मेरे दिल का हाल ।
मेरी अभिव्यक्ति, मेरा इंसान ॥
है कुछ संगीन ॥
रंगो से है, भरी हुई ।
पर रंगो पर ही, एक छवि हुई ॥
इसका आकर है निराकार ।
और भोग है तप ॥
जीवन के इस प्रष्ठ पर ।
ये रहती सदैव, तृप्त ॥
कौन है हम, कौन हो तुम ।
के सिलसिले में, झूझती हुई ।
इठलाती हुई, और मटकाती हुई ॥
ऐसी कुछ अदा है, प्रति प्रति व्यक्ति की ॥
कुछ ख्याल, कुछ उन्माद ।
उमड़े मेरे लघु मन में ॥
कुछ सपने, कुछ अरमान ।
जागे इस जीवन में ॥
चाहा कि, बनू एक आवाज़ ।
या कोई चलती किताब ॥
पर होता है मुश्किल ।
कुछ इसका हिसाब ॥
य़ो तो मैं , कवि सही ।
पर शब्दो में, मैं रवि नहीं ।।
चाहता हूँ, सुनाना मेरे दिल का हाल ।
मेरी अभिव्यक्ति, मेरा इंसान ॥
रौनक, रिक्सोर वाला
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