24 March 2015

Whites of Childhood

सुफ़ैद सी रोज़ को निकला तिम्कु, 
अपनी सुफ़ैद कहानियाँ बुनने ॥
लिए गुब्बारा और पतंग को, 
सुफ़ैद आसमान में उड़ने ॥ 

हस्ता खिलता है ये तिम्कु,
रोता रूठता है ये तिम्कु,
नहता धोता नहीं है तिम्कु। 
नन्हा तिम्कु शैतान तिम्कु ॥ 

गुब्बारे भी उड़ गए, पतंग भी,
तिम्कु भी चाहे उड़ना, इधर भी, उधर भी ॥ 
गुब्बारे है नाज़ुक और मासूम । 
पतंग है निर्मल और अंकुश । 

उसी तरह है हमारा तिम्कु, प्यारा तिम्कु ।
सुफ़ैद है ये दास्तां, सुफ़ैद है ये रास्तां,
तिम्कु है मासूम, तिम्कु है नादान ,
सुफ़ैद रहे उसके अरमान ॥
रौनक कोगटा

15 March 2015

सहर की खोज में

मेरे वालिद , शहर से कई दूर एक सहर है ।
ऊस सहर में, ना है व्यक्तिगत खुश्बुए । 
ना है कोई विकराल विचार ॥ 

बस है थोड़ी झाडे, तिनके और कंकर । 

जानोगे यहाँ  जीवन के कड़वे सच, मध्य रस,
और प्रीतम धुन ॥ 

ऐ वालिद , इस सहर को खोज ।

इसमें बसी बदबूए , और कुछ खुश्बुए । 
और जीना सीख ॥

रौनक कोगटा



13 March 2015

जंजीर

कतरा कतरा टुट गया ।
कतरा कतरा पाने को ॥

छोटी सी जंजीर हुई ।
जीवन की प्यास बुझाने को ॥

मेरी जंजीर, मेरा कर्म ।
मेरी जंजीर, मेरा धर्म ॥

फिर क्यों, है यह किसी और का फंदा ।
काला कफ़न और सफ़ेद  धंदा ॥

जंजीर है यह मेरे प्यार की,
मेरे सम्मान की, और ईमान की ॥

जंजीर नहीं है यह किसी के प्राण की,
अपमान की,
और समान की ॥
कतरा कतरा बुन गया,
जंजीर जंजीर
को जुड़ाने से ॥

 
रौनक कोगटा
प्राण
प्राण
प्राण
प्राण
प्राण
प्राण
प्राण
प्राण
प्राण









25 October 2014

My Two Days of Journalism

Like every year, this year too, Diwali came. A festival of lights, a celebration for return of Lord  Rama after 14 years from his exile. And there are many other events that comes in the entourage of Diwali, which makes it the most celebratory week of the year. Even Shahrukh Khan releases his film in this week only. But it is neither Shahrukh's films nor return of Rama, that make us excited, it is our family.

30 January 2014

Hallowed thy Research !!

A glimspe of aura,
or a shine of taboo;
embodies in thy. O! vie Research.

A pebble of sand,
or a boulder in front of den;
such is you. O! sly Research.

Dyanamics, of puppets;
Constants, of mannequins;
revolves around you. O! shy Research.

I run for you,
or you catch me.
It's a tie. O! dear Research.

Words only mine you,
but actions define you.
O! Hallowed thy Research.     

29 January 2014

अनकही


 
इस रात की सन्नाहट,
मुझे  मेरी साँसों से रफ्ता कराती है |
समय की चकरी, और धीरे, और धीरे;
 मेरे मन को घेरे जाती है ||  

मेरे सपने, मेरे विचार;
सबका चिंतन लेता है एक आकार  | 
पर ठहर जाता हूँ;
उन बातों पर, जो मैंने ना कही;
और किसी ने ना सुनी || 

कुछ संगीन, कुछ रंगीन
कुछ बद्तमीज़ और कुछ कवि |
अनकही ना है ये शब्दो की,
पर इरादो की ||

जाना है, जीवन है शुन्य
और धीरे धीरे, समय की चकरी | 
बनाती इसे शून्य ||

अपने मन की अनकही,
को चीखो, चिल्लाओ |
 क्योंकि रात की सन्नाहट में ,
कहा अवश्य गूँजेगा ||

27 January 2014

I want to become pirate!

Go not to the elves for counsel, for they will say both yes and no.
J. R. R. Tolkien
This quote from the “Lord Of The Rings“  pretty much says, what I have to say. But still I would like to elaborate to the finest detail I can think of. A pirate is a being of his own, he cares not for the world's offering, as he takes what he wants.  And thing I like most about pirates is that they live till they can, because with every morning, dangers of the world surrounds them. Be it unpredictable and stormy sea, or some hunters who want to put a stop on their existence.