कतरा कतरा टुट गया ।
कतरा कतरा पाने को ॥
छोटी सी जंजीर हुई ।
जीवन की प्यास बुझाने को ॥
मेरी जंजीर, मेरा कर्म ।
मेरी जंजीर, मेरा धर्म ॥
फिर क्यों, है यह किसी और का फंदा ।
काला कफ़न और सफ़ेद धंदा ॥
जंजीर है यह मेरे प्यार की,
मेरे सम्मान की, और ईमान की ॥
जंजीर नहीं है यह किसी के प्राण की,
अपमान की, और समान की ॥
कतरा कतरा बुन गया,
जंजीर जंजीर को जुड़ाने से ॥
रौनक कोगटाप्राणप्राण
प्राण
प्राण
प्राणप्राणप्राणप्राणप्राण
No comments:
Post a Comment