मेरे वालिद , शहर से कई दूर एक सहर है ।
ऊस सहर में, ना है व्यक्तिगत खुश्बुए ।
ना है कोई विकराल विचार ॥
बस है थोड़ी झाडे, तिनके और कंकर ।
जानोगे यहाँ जीवन के कड़वे सच, मध्य रस,
और प्रीतम धुन ॥
ऐ वालिद , इस सहर को खोज ।
इसमें बसी बदबूए , और कुछ खुश्बुए ।
और जीना सीख ॥
रौनक कोगटा
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